Saturday, September 19, 2009

तेरी हवससे जल गई धरती, लुट गई हरियाली,


बाँध बनाए, गाँव डुबोए, कारखाना बनाए ,
जंगल काटे, खादड खोडे, सेंचुरी बनाए,
जल जंगल जमीन छोडिन हम कहा कहा जाए,
विकास के भगवान बता हम कैसे जान बचाए॥

जमुना सुखी, नर्मदा सुखी, सुखी सुवर्णरेखा,
गंगा बनी गन्दी नाली, कृष्णा काली रेखा,
तुम पियोगे पेप्सी कोला, बिस्लरी का पानी,
हम कैसे अपना प्यास बुझाए, पीकर कचरा पानी?

पुरखे थे क्या मूरख जो वे जंगल को बचावे,
धरती रखी हरी भरी नदी मधु बहाए,
तेरी हवससे जल गई धरती, लुट गई हरियाली,
मचली मर गई, पंछी उड गई जाने किस दिशाए

मंत्री बने ... वर्दी के दलाल हम से जमीन छीनी,
उनको बचाने लेकर आए साथ मे ...
अफसर बने है राजाजी के दार बने धनी,
गाँव हमारे बन गई है उनकी कोलोनी

बिरसा पुकारे एकजुट होवो छोडो ये खामोशी,
मछवारे आवो, दलित आवो, आवो आदिवासी,
हो खेत खाली हान से जागो नगाडा बजाओ,
लडाई छोडी चारा नही सुनो देस वासी

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